जब इरादा बना ही लिया है ऊँची उड़ान का तो फिर कद क्या घण्टा देखना है आसमान का
😈😈😎😎💪💪☁️☁️🔥🔥😏😏✌️✌️
#KAD ☹️
JAB IRADA BANA LIYA HAI UNCHI UDAAN KA TO FIR KAD KYA GHANTA DEKHNA HAI AASMAN KA
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कुछ तो बात होगी ज़रूर हम में...!!
यूँ ही नहीं चिला उठते 'वो', देख कर हमें...!!!😝😜😂😁
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विश्व आयोडीन अल्पता दिवस कब मनाया जाता है?
Anonymous Quiz
15%
(a) 18 अक्तूबर
43%
(b) 19 अक्तूबर
23%
(c) 20 अक्तूबर
19%
(d) 21 अक्तूबर
आपको बदलाव के लिए ही बनाया गया है।
आपको अपना मन, अपनी धारणा को सकारात्मकता की दिशा में बदलने के लिए बनाया गया है। आपको विकसित होने के लिए बनाया गया है, आपको अनुकूलन करने के लिए बनाया गया है, आपको बढ़ने के लिए बनाया गया है। आपको पुरानी परतों को अब उतारना है।
आपको पीछे जो भी हुआ उसे जाने देना है। और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना है। इस प्रक्रिया पर भरोसा करें। समझें कि हमें कभी भी सकारात्मकता को जाने नहीं देना है; हमें बस जो पहले ही चला गया है उसे स्वीकार करना है।
हमें इस बात पर शोक करने की ज़रूरत नहीं है कि दुनिया ने क्या छीन लिया, लेकिन यह याद रखना है कि हमने अपने जीवन में जो भी सुंदरता विकसित की है वह अभी भी हमारे भीतर है - और हम जहाँ भी जाएँगे, और जो भी हम आगे करेंगे, हम उसे वहाँ भी विकसित करेंगे। वह सब कुछ जो वास्तव में आपके लिए है, वह दूसरी तरफ आपका इंतज़ार कर रहा होगा, क्योंकि वह सब कुछ जो वास्तव में आपके लिए है वह अभी भी आपके भीतर है। यह हमेशा से रहा है।
आपको अपना मन, अपनी धारणा को सकारात्मकता की दिशा में बदलने के लिए बनाया गया है। आपको विकसित होने के लिए बनाया गया है, आपको अनुकूलन करने के लिए बनाया गया है, आपको बढ़ने के लिए बनाया गया है। आपको पुरानी परतों को अब उतारना है।
आपको पीछे जो भी हुआ उसे जाने देना है। और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना है। इस प्रक्रिया पर भरोसा करें। समझें कि हमें कभी भी सकारात्मकता को जाने नहीं देना है; हमें बस जो पहले ही चला गया है उसे स्वीकार करना है।
हमें इस बात पर शोक करने की ज़रूरत नहीं है कि दुनिया ने क्या छीन लिया, लेकिन यह याद रखना है कि हमने अपने जीवन में जो भी सुंदरता विकसित की है वह अभी भी हमारे भीतर है - और हम जहाँ भी जाएँगे, और जो भी हम आगे करेंगे, हम उसे वहाँ भी विकसित करेंगे। वह सब कुछ जो वास्तव में आपके लिए है, वह दूसरी तरफ आपका इंतज़ार कर रहा होगा, क्योंकि वह सब कुछ जो वास्तव में आपके लिए है वह अभी भी आपके भीतर है। यह हमेशा से रहा है।
पटाखे फोड़ने का मन करे तो जम कर फोड़ना
एक दिन से भारत प्रदूषित नहीं होगा
बस ध्यान रहे किसी भी जान को नुकसान पहुंचे ऐसी कोई हरकत न करे
दिवाली पर बहुत से लोग पटाखों को हथियार की तरह लेके दूसरे को परेशान करते है, एसो का विरोध करे
बेजुबान जानवर आसपास हो तो थोड़ा उससे दूर जाके पटाखे जलाए
बाकी तो आप समझदार हो
Happy Diwali 🎇
एक दिन से भारत प्रदूषित नहीं होगा
बस ध्यान रहे किसी भी जान को नुकसान पहुंचे ऐसी कोई हरकत न करे
दिवाली पर बहुत से लोग पटाखों को हथियार की तरह लेके दूसरे को परेशान करते है, एसो का विरोध करे
बेजुबान जानवर आसपास हो तो थोड़ा उससे दूर जाके पटाखे जलाए
बाकी तो आप समझदार हो
Happy Diwali 🎇
सुनो शादी मुबारक हो
दुल्हन तो बन चुकी हो अब
बता भी दो
कि सुनने को ओ खुशखबरी मैं आऊं कब?
किसी दिन छोड़ जाएगी तेरे बेटे को कोई जब
किसी आशिक की मां का दर्द
समझ पाए तू शायद तब...
इसे इंसाफ कहते हैं
इसी से भागते हैं सब,
इसी को पूजता हूं मैं
इसी से कांपते हैं रब...
- अनंत गुप्ता
दुल्हन तो बन चुकी हो अब
बता भी दो
कि सुनने को ओ खुशखबरी मैं आऊं कब?
किसी दिन छोड़ जाएगी तेरे बेटे को कोई जब
किसी आशिक की मां का दर्द
समझ पाए तू शायद तब...
इसे इंसाफ कहते हैं
इसी से भागते हैं सब,
इसी को पूजता हूं मैं
इसी से कांपते हैं रब...
- अनंत गुप्ता
ये दिल्ली है
ये देश की रजधानी है,
सांस-सांस में प्रदूषण सोखती
पीती गंदा पानी है।
दिल्ली में होती अब जेब ढीली,
क्या शिक्षा,क्या नौकरी,
सब यहीं पर ही तो पानी है।
सभी प्रदेश के वासी यहां,
पर जिम्मेदारी किसने निभानी है!!!
पैसा,प्रसिद्धि,व्यापार यहां
राजनीति की बड़ी बड़ी बिसातें यहां,
पर गरीबों की ज़िंदगी यहां फानी है।
क्या यही देश की रजधानी है?!
प्रगति के सारे प्रतिमान यहां
पर प्रकृति के प्रतिमान कहां?
धन, छल, प्रपंच, सत्ता की भूल -भुलैया यहां,
पर लोकतन्त्र की कहानी कहां,
हर मौसम एक रार यहां,
क्या यही भारत वर्ष की राजधानी है।
ये देश की रजधानी है,
सांस-सांस में प्रदूषण सोखती
पीती गंदा पानी है।
दिल्ली में होती अब जेब ढीली,
क्या शिक्षा,क्या नौकरी,
सब यहीं पर ही तो पानी है।
सभी प्रदेश के वासी यहां,
पर जिम्मेदारी किसने निभानी है!!!
पैसा,प्रसिद्धि,व्यापार यहां
राजनीति की बड़ी बड़ी बिसातें यहां,
पर गरीबों की ज़िंदगी यहां फानी है।
क्या यही देश की रजधानी है?!
प्रगति के सारे प्रतिमान यहां
पर प्रकृति के प्रतिमान कहां?
धन, छल, प्रपंच, सत्ता की भूल -भुलैया यहां,
पर लोकतन्त्र की कहानी कहां,
हर मौसम एक रार यहां,
क्या यही भारत वर्ष की राजधानी है।