बीते रिश्ते तलाश करती है
ख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है
जब गुज़रती है उस गली से सबा
ख़त के पुर्ज़े तलाश करती है
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
पीले पत्ते तलाश करती है
एक उम्मीद बार बार आ कर
अपने टुकड़े तलाश करती है
बूढ़ी पगडंडी शहर तक आ कर
अपने बेटे तलाश करती है
-गुलजार
ख़ुशबू ग़ुंचे तलाश करती है
जब गुज़रती है उस गली से सबा
ख़त के पुर्ज़े तलाश करती है
अपने माज़ी की जुस्तुजू में बहार
पीले पत्ते तलाश करती है
एक उम्मीद बार बार आ कर
अपने टुकड़े तलाश करती है
बूढ़ी पगडंडी शहर तक आ कर
अपने बेटे तलाश करती है
-गुलजार
Forwarded from राजस्थान ई मित्रा एण्ड फोटोस्टेट सूरतगढ़ (!!..ज़ालिमा..!!)
हमारा मसला अलग है औरों से ,
आपकी खैरियत हमको सुकून देती है
आपकी खैरियत हमको सुकून देती है
किसी दिन क़ब्र की दो गज जमीं को घर बनाएंगे
ये दुनिया छोड़ कर हम दूसरी दुनिया बसाएंगे ..!
ये दुनिया छोड़ कर हम दूसरी दुनिया बसाएंगे ..!