वो इतनी शिद्दतों से सोचता है...!!
कि जैसे मैं भी कोई मसअला हूँ...!!
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कि जैसे मैं भी कोई मसअला हूँ...!!
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दिल में रह रह के शोर उठता है...!!
कोई रहता है इस मकान में क्या...!!
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कोई रहता है इस मकान में क्या...!!
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सदा-ए-दिल को कहीं बारयाब होना था...!!
मेरे सवाल का कुछ तो जवाब होना था...!!
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मेरे सवाल का कुछ तो जवाब होना था...!!
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कैसे उस को दिल की हालत समझाऊँ...!!
बात करूँ तो सहाब आँख चुराने लगता है...!!
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बात करूँ तो सहाब आँख चुराने लगता है...!!
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हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला...!
हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला...!!
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी...!
हर कोई मकसद का तलबगार मिला...!!
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हम को जो भी मिला बेवफा यार मिला...!!
अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी...!
हर कोई मकसद का तलबगार मिला...!!
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भले किसी ग़ैर की जागीर थी वो...!
पर मेरे ख्वाबों की तस्वीर थी वो...!!
मुझे मिलती तो कैसी मिलती...!
किसी और के हिस्से की तकदीर थी वो...!!
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पर मेरे ख्वाबों की तस्वीर थी वो...!!
मुझे मिलती तो कैसी मिलती...!
किसी और के हिस्से की तकदीर थी वो...!!
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कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी...!
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी...!!
सहाब बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने...!
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी...!!
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कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी...!!
सहाब बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने...!
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी...!!
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कैसे यकीन करें हम तेरी मोहब्बत का...!!
जब बिकती है बेवफाई तेरे ही नाम से...!!
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जब बिकती है बेवफाई तेरे ही नाम से...!!
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तस्वीर में भी बदले हुए हैं उनके तेवर...!!
आँखों में मुरब्बत का कहीं नाम नहीं है...!!
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आँखों में मुरब्बत का कहीं नाम नहीं है...!!
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समेट कर ले जाओ अपने झूठे वादों के अधूरे क़िस्से...!!
अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी...!!
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अगली मोहब्बत में तुम्हें फिर इनकी ज़रूरत पड़ेगी...!!
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वो कब का भूल चुका होगा हमारी वफ़ा का किस्सा...!!
बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!
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बिछड़ के किसी को किसी का ख्याल कब रहता है...!!
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इश्क़ ने जब माँगा खुदा से दर्द का हिसाब...!!
वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!
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वो बोले हुस्न वाले ऐसे ही बेवफाई किया करते हैं...!!
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किसी की खातिर मोहब्बत की इन्तेहाँ कर दो...!
लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!
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लेकिन इतना भी नहीं कि उसको खुदा कर दो...!!
मत चाहो किसी को टूट कर इस कदर इतना...!
कि अपनी वफाओं से उसको बेवफा कर दो...!!
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उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा...!!
दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!
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दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है...!!
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मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं सहाब...!
शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!
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शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं...!!
मेरी तकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया...!
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं...!!
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दिल को तर्ज़-ए-निगह-ए-यार जताते आए...!
तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!
बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!
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तीर भी आए तो बे-पर की उड़ाते आए...!!
बादशाहों का है दरबार दर-ए-पीर-ए-मुग़ाँ...!
सैकड़ों जाते गए सैकड़ों आते आए...!!
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आईना मेरा मेरे अपनों से बढ़कर निकला…!!
जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!
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जब भी मैं रोया कमबख्त मेरे साथ ही रोया…!!
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लगी है मुझको गुलाबों की बद्दुआ शायद…!!
जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!
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जिनको तोड़ा था मैंने कभी तेरे लिए…!!
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मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफसाना था…!!
दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!
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दिल के टुकड़े हो गये पर लोगों ने कहा वाह क्या निशाना था…!!
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ऐ खुदा इस दुनिया में एक और भी कमाल कर दे…!!
या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!
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या इश्क को आसान कर या खुदकुशी हलाल कर दे…!!
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