"लेखनी" अगर आप लेखन अथवा पठन किसी भी प्रकार से साहित्य से सम्बन्ध रखते हैं तो आपने इसका नाम अवश्य सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो यूँ समझ लीजिए कि साहित्य के इस नव युग में आपने एक उभरते सितारे को मिस कर दिया है, आपको इससे जुड़ कर साहित्यिक आंदोलन में अपना स्थान सुनिश्चित करना चाहिए।
https://lekhny.com/viewPost/9347-lekhnypost/लेखनी : एक हिंदी वेबसाइट!
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हम अपने सभी साहित्यकारों का अभिवादन करते हैं।
आपलोगों ने हमारे कहानियों के सफर को अत्यंत ही खूबसूरत बनाया है।
आज हम अपने प्रतियोगिता को एक नया रूप देते हैं।
आज आपलोगों को एक टॉपिक नहीं देकर हम कुछ * शब्द* दे रहे हैं।
आपको उन सारे शब्दों को अपनी लेख/कहानी में सम्मिलित करना है।
आपको उन सारे शब्दों के आधार पर ही अपनी कहानी/लेख का रुप देना है।
कहानी/लेख की शब्द सीमा
कमसेकम 500 शब्द और अधिकतर 5000 शब्द हैं।
बस कहानी/लेख में दिए सारे शब्दों का इस्तेमाल करना जरूरी है।
ये पाँच शब्द हैं--
*खेत
*अकाल
*बारिश
*घर
*बाढ़
समय सीमा ः बुधवार सुबह 11:00बजे तक।
यह एक नया और बहुत ही मजेदार टॉपिक है।
हम आशा करते हैं कि आपको प्रतियोगिता का नया रुप पसंद आएगा।
आप सभी की रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी।
धन्यवाद
सादर-
टीम लेखनी
हम अपने सभी साहित्यकारों का अभिवादन करते हैं।
आपलोगों ने हमारे कहानियों के सफर को अत्यंत ही खूबसूरत बनाया है।
आज हम अपने प्रतियोगिता को एक नया रूप देते हैं।
आज आपलोगों को एक टॉपिक नहीं देकर हम कुछ * शब्द* दे रहे हैं।
आपको उन सारे शब्दों को अपनी लेख/कहानी में सम्मिलित करना है।
आपको उन सारे शब्दों के आधार पर ही अपनी कहानी/लेख का रुप देना है।
कहानी/लेख की शब्द सीमा
कमसेकम 500 शब्द और अधिकतर 5000 शब्द हैं।
बस कहानी/लेख में दिए सारे शब्दों का इस्तेमाल करना जरूरी है।
ये पाँच शब्द हैं--
*खेत
*अकाल
*बारिश
*घर
*बाढ़
समय सीमा ः बुधवार सुबह 11:00बजे तक।
यह एक नया और बहुत ही मजेदार टॉपिक है।
हम आशा करते हैं कि आपको प्रतियोगिता का नया रुप पसंद आएगा।
आप सभी की रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी।
धन्यवाद
सादर-
टीम लेखनी
"सीधा साधा डाकिया जादू करे महान, एक ही थैले में भरे आंसू और मुस्कान"
निदा फ़ाजली का यह शेर याद दिलाता है देश के उस समय की जब देश मे संदेश पहुंचाने का कार्य केवल डाक विभाग द्वारा ही होता था। देश हो या विदेश डाक का महत्व सभी जगह समान ही रहा है। वर्तमान परिवेश में बढ़ते आधुनिक संचार साधनों के उपयोग से डाक का महत्व कम होता जा रहा है। युवाओं के बीच डाक के महत्व को बरकरार रखने के लिए ही समस्त विश्व में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रुप में घोषित किया गया।
चिठ्ठी - पत्री, तार, खत न जाने कितने रूप और कई नाम।
विश्व डाक दिवस के अवसर पर लेखनी लेकर आई है एक अनोखी प्रतियोगिता।
'लिखे जो खत तुझे'।
रचनाकार डाक, चिट्ठी - पत्री, खत, इनसे सम्बंधित विषय पर अपनी रचना, कविता/कहानी/लेख के रूप में भेज सकते हैं।
प्रविष्टि भेजने की समय सीमा 07/10/2021 - 14/10/2021 मध्यरात्रि है।
नियम और शर्ते :-
1 - प्रतियोगिता के लिए रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए।
2 -. रचना लेखनी पटल पर पहले से प्रकाशित नही होनी चाहिए।
3 - परिणाम आने तक रचना किसी अन्य मंच पर प्रकाशित नही होनी चाहिए।
4- प्रतियोगिता के लिए रचना में कोई शब्द सीमा नही है।
5- एक प्रतियोगी जितनी चाहे उतनी प्रविष्टियां भेज सकता है।
6 - रचनाकार अपनी रचनाओं में व्याकरण, वर्तनी का विशेष ध्यान रखें।
विजेता :- कविता - 1
लेख -1
कहानी - 1
पुरुस्कार :-
प्रत्येक विजेता को 10 - लेखनी पॉइंट्स पुरुस्कार स्वरूप प्राप्त होंगे।
सभी प्रतिभागी को प्रतिभागिता स्वरूप 2 लेखनी पॉइंट्स प्राप्त होंगे।
नोट - प्रतियोगिता हेतु रचना के अंत में ' # लिखे जो खत तुझे '
लिखना अनिवार्य है।
निदा फ़ाजली का यह शेर याद दिलाता है देश के उस समय की जब देश मे संदेश पहुंचाने का कार्य केवल डाक विभाग द्वारा ही होता था। देश हो या विदेश डाक का महत्व सभी जगह समान ही रहा है। वर्तमान परिवेश में बढ़ते आधुनिक संचार साधनों के उपयोग से डाक का महत्व कम होता जा रहा है। युवाओं के बीच डाक के महत्व को बरकरार रखने के लिए ही समस्त विश्व में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रुप में घोषित किया गया।
चिठ्ठी - पत्री, तार, खत न जाने कितने रूप और कई नाम।
विश्व डाक दिवस के अवसर पर लेखनी लेकर आई है एक अनोखी प्रतियोगिता।
'लिखे जो खत तुझे'।
रचनाकार डाक, चिट्ठी - पत्री, खत, इनसे सम्बंधित विषय पर अपनी रचना, कविता/कहानी/लेख के रूप में भेज सकते हैं।
प्रविष्टि भेजने की समय सीमा 07/10/2021 - 14/10/2021 मध्यरात्रि है।
नियम और शर्ते :-
1 - प्रतियोगिता के लिए रचनाएं स्वरचित एवं मौलिक होनी चाहिए।
2 -. रचना लेखनी पटल पर पहले से प्रकाशित नही होनी चाहिए।
3 - परिणाम आने तक रचना किसी अन्य मंच पर प्रकाशित नही होनी चाहिए।
4- प्रतियोगिता के लिए रचना में कोई शब्द सीमा नही है।
5- एक प्रतियोगी जितनी चाहे उतनी प्रविष्टियां भेज सकता है।
6 - रचनाकार अपनी रचनाओं में व्याकरण, वर्तनी का विशेष ध्यान रखें।
विजेता :- कविता - 1
लेख -1
कहानी - 1
पुरुस्कार :-
प्रत्येक विजेता को 10 - लेखनी पॉइंट्स पुरुस्कार स्वरूप प्राप्त होंगे।
सभी प्रतिभागी को प्रतिभागिता स्वरूप 2 लेखनी पॉइंट्स प्राप्त होंगे।
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Forwarded from Ravi
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भूल गया वो मीत मुझे जब सूख गया तब नीर सभी
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ये वतन हम सबका है, ये वतन पहचान हमारा है
इस मुल्क से बना तन हमारा, ये वतन जान हमारा है
कह दो फिजाओं से अब, पैगाम ये जारी है
ना झुकने देंगे तिरंगा कभी, आसमान ये हमारा है,
शहीदों तुम्हे नमन है, चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है
तुमसे वतन मिला है हमको, ये तुम्हारा अहसान है
ना मिलने देंगे मिट्टी में कभी, नाम तुम्हारा वीरो
लहराता रहे ये तिरंगा, यही हमारी जान है।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Happy Republic Day🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
इस मुल्क से बना तन हमारा, ये वतन जान हमारा है
कह दो फिजाओं से अब, पैगाम ये जारी है
ना झुकने देंगे तिरंगा कभी, आसमान ये हमारा है,
शहीदों तुम्हे नमन है, चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है
तुमसे वतन मिला है हमको, ये तुम्हारा अहसान है
ना मिलने देंगे मिट्टी में कभी, नाम तुम्हारा वीरो
लहराता रहे ये तिरंगा, यही हमारी जान है।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Happy Republic Day🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
"साहित्यकार समाज को आईना दिखाता है, जहां हथियार नाकाम हो जातें हैं,वहां कलम रूपी हथियार समाज को आईना दिखाता है,कभी हास्य व्यंग द्वारा,कहीं जागरूकता द्वारा। समाज के प्रति युवा पीढ़ी और साहित्यकारों का कर्तव्य है कि वो ज्यादा इंटरनेट का सहारा लेकर विषयों को प्रस्तुत न करके अपनी रचनात्मकता का सहारा लें।" ऐसा मानना है संगीता सिंह जी का। लखनऊ उत्तर प्रदेश में रहने वाली, झारखंड की मिट्टी में पली बढ़ी संगीता सिंह जी
वनस्पति विज्ञान से स्नातकोत्तर हैं।
लेखनी टीम के साथ इनकी बातचीत के कुछ अंश -
1. साहित्य के क्षेत्र में आपका रुझान किस तरह हुआ?
साहित्य के क्षेत्र में रुचि के बीज को मेरे हिंदी टीचर श्री प्रमथ नाथ मिश्र ने अंकुरित किया था जिनका साहित्य के क्षेत्र में काफी नाम है ,उन्हें प्रख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी और काशीनाथ सिंह जैसे सरीखे साहित्यकारों का आशीर्वाद मिला था ,एक साल पहले हमने उन्हें खो दिया। कहते हैं एकाकीपन में भी व्यक्ति लेखक ,शायर ,कवि बन जाता है ,मेरे जीवन में भी अकेलापन ज्यादा रहा ,भाई मेरे से 10 साल बड़े थे तो कोई साथ वाला नहीं होता था,इसलिए मेरे अंदर कई ख्याल आते और जाते रहते। मेरे कुछ लेख समाचार पत्रों में भी छपे। लेकिन शादी के बाद से परिस्थितियां कुछ ऐसी रहीं की कलम बहुत दूर हो गया। 2021 में अप्रैल के बाद मैं फिर से सक्रिय हुई।
2.आप लेखनी से कैसे जुड़ी और जुड़ने के बाद आपका अनुभव कैसा रहा?
मुझे लेखनी में लाने का श्रेय आलिया जी को जाता है। लेखनी में नित नए कार्यक्रम,प्रयोग ,उनकी टीम का हर एक सदस्य के प्रति कमिटमेंट मुझे बहुत अच्छा लगता है । पूरी टीम ऊर्जावान और किसी भी समस्या को सुलझाने में अपना पूरा 100% देने को तत्पर रहती है।लेखनी के साथ मेरा अनुभव बहुत अच्छा और सकारात्मक रहा।
3.ऐसी कोई कविता/ कहानी जिसने आपके मन को छुआ हो?
मुझे यूं तो नरेंद्र कोहली,भगवतीचरण वर्मा, प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद और रविंद्रनाथ टैगोर की कहानियां बहुत पसंद है,लेकिन नरेंद्र कोहली की "क्षमा करना दीदी" मेरे मन को छू गई।
4.साहित्य के डिजिटलीकरण के बारे में आपके क्या विचार हैं?
साहित्य का डिजिटिलीकरण बहुत क्रांतिकारी कदम है ,अब सब एक क्लिक में पाठकों के सामने हाजिर हो जाता है।लाइब्रेरी और महीन महीन अक्षरों में अपने आप को खोने की जरूरत नहीं पड़ती ,आज इस डिजिटलीकरण के युग में आपको अपनी पसंदीदा रचना को सुनने की भी सहूलियत मिल जाती है।
लेकिन इस दौर में कई ऐसे मंच भी खुल गए हैं जो लेखकों के हुनर को अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं, इससे सावधान रहने की आवश्यकता है।
5.आपकी साहित्यिक रुचियाँ क्या है?
मेरे लेखन का उद्देश्य पाठको अपने बुने हुए परिवेश में लेकर जाना है जिससे वो कहानी से एक किरदार की भांति जुड़ जाएं,वो अपने किरदार के इर्द गिर्द महसूस करे।
6.क्या आप लेखन से जुड़ा कोई गर्व भरा अनुभव साझा करना चाहेंगीं?
मेरे लिए सबसे पहला गर्व का दिन था जब मुझे स्कूल में इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) की ओर से सेकंड प्राइज के रूप में मैक्सिम गोर्की की किताब और सर्टिफिकेट मिला।
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टीम लेखनी
वनस्पति विज्ञान से स्नातकोत्तर हैं।
लेखनी टीम के साथ इनकी बातचीत के कुछ अंश -
1. साहित्य के क्षेत्र में आपका रुझान किस तरह हुआ?
साहित्य के क्षेत्र में रुचि के बीज को मेरे हिंदी टीचर श्री प्रमथ नाथ मिश्र ने अंकुरित किया था जिनका साहित्य के क्षेत्र में काफी नाम है ,उन्हें प्रख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी और काशीनाथ सिंह जैसे सरीखे साहित्यकारों का आशीर्वाद मिला था ,एक साल पहले हमने उन्हें खो दिया। कहते हैं एकाकीपन में भी व्यक्ति लेखक ,शायर ,कवि बन जाता है ,मेरे जीवन में भी अकेलापन ज्यादा रहा ,भाई मेरे से 10 साल बड़े थे तो कोई साथ वाला नहीं होता था,इसलिए मेरे अंदर कई ख्याल आते और जाते रहते। मेरे कुछ लेख समाचार पत्रों में भी छपे। लेकिन शादी के बाद से परिस्थितियां कुछ ऐसी रहीं की कलम बहुत दूर हो गया। 2021 में अप्रैल के बाद मैं फिर से सक्रिय हुई।
2.आप लेखनी से कैसे जुड़ी और जुड़ने के बाद आपका अनुभव कैसा रहा?
मुझे लेखनी में लाने का श्रेय आलिया जी को जाता है। लेखनी में नित नए कार्यक्रम,प्रयोग ,उनकी टीम का हर एक सदस्य के प्रति कमिटमेंट मुझे बहुत अच्छा लगता है । पूरी टीम ऊर्जावान और किसी भी समस्या को सुलझाने में अपना पूरा 100% देने को तत्पर रहती है।लेखनी के साथ मेरा अनुभव बहुत अच्छा और सकारात्मक रहा।
3.ऐसी कोई कविता/ कहानी जिसने आपके मन को छुआ हो?
मुझे यूं तो नरेंद्र कोहली,भगवतीचरण वर्मा, प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद और रविंद्रनाथ टैगोर की कहानियां बहुत पसंद है,लेकिन नरेंद्र कोहली की "क्षमा करना दीदी" मेरे मन को छू गई।
4.साहित्य के डिजिटलीकरण के बारे में आपके क्या विचार हैं?
साहित्य का डिजिटिलीकरण बहुत क्रांतिकारी कदम है ,अब सब एक क्लिक में पाठकों के सामने हाजिर हो जाता है।लाइब्रेरी और महीन महीन अक्षरों में अपने आप को खोने की जरूरत नहीं पड़ती ,आज इस डिजिटलीकरण के युग में आपको अपनी पसंदीदा रचना को सुनने की भी सहूलियत मिल जाती है।
लेकिन इस दौर में कई ऐसे मंच भी खुल गए हैं जो लेखकों के हुनर को अपनी कमाई का जरिया बना रहे हैं, इससे सावधान रहने की आवश्यकता है।
5.आपकी साहित्यिक रुचियाँ क्या है?
मेरे लेखन का उद्देश्य पाठको अपने बुने हुए परिवेश में लेकर जाना है जिससे वो कहानी से एक किरदार की भांति जुड़ जाएं,वो अपने किरदार के इर्द गिर्द महसूस करे।
6.क्या आप लेखन से जुड़ा कोई गर्व भरा अनुभव साझा करना चाहेंगीं?
मेरे लिए सबसे पहला गर्व का दिन था जब मुझे स्कूल में इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) की ओर से सेकंड प्राइज के रूप में मैक्सिम गोर्की की किताब और सर्टिफिकेट मिला।
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टीम लेखनी
कृपया मेरी कविता पढ़ें, लाइक करें, समीक्षा करें और पसंद आने पर अन्य मित्रों के साथ साझा करें 😊🙏
https://lekhny.com/viewposts/62857-lekhnypost/रक्षाबंधन - प्यार का बंधन
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Lekhny
रक्षाबंधन - प्यार का बंधन
Written By: Ravi Goyal
Forwarded from शायरों की महफिल (★ॐ๏𝗦𝗞𝗬 ᴡᴀƦƦɪᴏƦ๏ॐ★)
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ☺️🙏❤️🇮🇳🇮🇳🇮🇳
भारत माता की जय 🙏🇮🇳🇮🇳
वंदे मातरम् ❤️🙏🇮🇳🇮🇳
भारत माता की जय 🙏🇮🇳🇮🇳
वंदे मातरम् ❤️🙏🇮🇳🇮🇳